मंगलवार, 30 अगस्त 2011

आलोक श्रीवास्तव को पूश्किन सम्मान

मॉस्को। 'तुम्हारे पास आता हूँ, तो साँसें भीग जाती हैं / मुहब्बत इतनी मिलती है, कि आँखें भीग जाती हैं।' हिन्दी के जाने-माने कवि आलोक श्रीवास्तव ने अपनी यह पंक्तियाँ जब हिंदुस्तानियों की ओर से भारतीय साहित्य और संस्कृति के चहेते रूसियों को नज़्र कीं तो मॉस्को में आयोजित पूश्किन सम्मान समारोह में मौजूद लोगों की आँखें सचमुच भीग गईं। कार्यक्रम समाप्त हुआ तो इन पंक्तियों के साथ कई लोग देर तक भारत-रूस के पुराने-रिश्ते को याद करते रहे।

आलोक श्रीवास्तव यहाँ रूस का प्रतिष्ठित ‘अंतरराष्ट्रीय पूश्किन सम्मान’ लेने आए हुए थे। आलोक को यह सम्मान उनके चर्चित ग़ज़ल संग्रह ’आमीन’ के लिए प्रसिद्ध रूसी कवि अलेक्सान्दर सेंकेविच ने दिया। रूस का ‘भारत मित्र समाज’ पिछले बारह वर्षों से प्रतिवर्ष हिन्दी के एक प्रसिद्ध कवि या लेखक को मास्को में हिन्दी-साहित्य का यह महत्वपूर्ण सम्मान देता है। इस बार यह सम्मान भारतीय स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिया गया।

रूस में बसे भारतीयों के साथ हिंदी-रूसी भाषा के साहित्यकारों और विद्वानों की मौजूदगी में आलोक को सम्मान स्वरूप प्रख्यात रूसी कवि अलेक्सान्दर पूश्किन की पारम्परिक प्रतिमा, सम्मान-पत्र और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। सम्मान के अन्तर्गत आलोक दस दिन तक रूस के विभिन्न शहरों की साहित्यिक-यात्रा करेंगे और यहाँ प्रसिद्ध रूसी-कवियों, लेखकों और बुद्धिजीवियों से मिलेंगे। इस अवसर पर ’भारत मित्र समाज’ आलोक श्रीवास्तव की प्रतिनिधि रचनाओं का रूसी भाषा में अनुवाद भी प्रकाशित करेगा। ‘भारत मित्र समाज’ के महासचिव अनिल जनविजय ने मॉस्को से जारी विज्ञप्ति में यह सूचना दी है।

पेशे से टीवी पत्रकार आलोक लगभग दो दशक से साहित्यिक-लेखन में सक्रिए हैं। उनकी रचनाएं हिन्दी-साहित्य की सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। वर्ष 2007 में प्रकाशित उनके पहले ग़ज़ल-संग्रह ‘आमीन’ से उन्हें विशेष पहचान मिली। इसी पुस्तक के लिए आलोक को मप्र साहित्य अकादमी का ‘दुष्यंत कुमार पुरस्कार’, ‘हेमंत स्मृति कविता सम्मान’ और ‘परम्परा ऋतुराज सम्मान’ जैसे कई प्रतिष्ठित साहित्यिक-सम्मान मिल चुके हैं मगर वे हिंदी के पहले ऐसे युवा ग़ज़लकार हैं जिन्हें रूस का यह महत्वपूर्ण सम्मान दिया गया है। हिन्दी-रूसी साहित्य के मूर्धन्य कवि-लेखकों व अध्येता-विद्वानों की पाँच सदस्यीय निर्णायक-समिति ने जनवरी 2011 में आलोक श्रीवास्तव को इस सम्मान के लिए चुना था।

सोमवार, 29 अगस्त 2011

टीम अभिव्यक्ति द्वारा तुक कोश का उपहार पाठकों व रचनाकारों के लिये

१५ अगस्त २०११, अभिव्यक्ति के 11वें जन्मदिन के अवसर पर पत्रिका की टीम द्वारा एक तुक कोश को प्रकाशित किया गया है। वेब पर पहली बार जारी अपनी तरह के इस अनूठे तुक कोश में एक लाख से अधिक शब्दों की तुक ढूँढी जा सकती है। तुक ढूँढने का तरीका अत्यंत आसान है। जिस शब्द की तुकें ढूँढनी हों उसे खाली स्थान में लिखकर 'तुकांत शब्द खोजें' बटन क्लिक करना होता है। बटन के क्लिक करते ही नीचे के स्थान में दिये गए शब्द से संबंधित तुकें प्रदर्शित हो जाती है। उदाहरण के लिये दिये गए स्थान में आसमान लिखकर क्लिक करने पर आसमान से मिलती जुलती तुकों के 1500 से अधिक शब्द प्रदर्शित हो जाते हैं।

भारतीय साहित्य में तुकों और अन्त्यानुप्रास की सुदृढ़ परंपरा है। यह ध्यान में रखते हुए अभिव्यक्ति तुक कोश बाल साहित्य और तुकांत रचनाकारों के लिेये बहुत उपयोगी व लोकप्रिय सिद्ध होने की संभावना है। तुक कोश की रचना करने वाली तकनीकी टीम की अध्यक्ष रश्मि आशीष हैं। अभिव्यक्ति तुक कोश को नीचे दिये गए लिंक पर देखा जा सकता है।

जे सी जोशी स्मृति साहित्य सम्मान की घोषणा

दिल्ली, जे सी जोशी स्मृति साहित्य सम्मान के तहत दिया जाने वाला चौथा शब्द साधक शिखर सम्मान हिन्दी के प्रख्यात कथाकार और हंस के संपादक श्री राजेन्द्र यादव को देने का निर्णय हुआ है। इस सम्मान के तहत उन्हें 51 हजार रुपये, एक स्मृति चिह्न और प्रशस्ति पत्र दिया जायेगा । इस मौके पर पाखी के श्री राजेन्द्र यादव पर केंद्रित अंक का लोकार्पण भी होना है। यह सूचना श्री अपूर्व जोशी ने दी, जो इंडिपेंडेंट मीडिया इनिशिएटिव सोसायटी के अध्यक्ष और दि संडे पोस्ट के संपादक हैं। श्री राजेन्द्र यादव के पहले यह सम्मान स्व. विष्णु प्रभाकर, श्रीलाल शुक्ल और श्री नामवर सिंह को दिया जा चुका है। यह सम्मान उन्हें समग्र साहित्यिक अवदान के लिये दिया जा रहा है।

शब्द साधक शिखर सम्मान के अलावा चौथा शब्द साधक जनप्रिय सम्मान कथाकार पंकज सुबीर के उपन्यास ये वो सहर तो नहीं को देने का निर्णय हुआ है। ये उपन्यास भारतीय ज्ञानपीठ से पिछले साल प्रकाशित हुआ है। शब्द साधना जनप्रिय सम्मान के अंतर्गत 21 हजार रुपये स्मृति चिह्न और प्रशस्ति पत्र दिया जायेगा।

इसी तरह चौथा शब्द साधना युवा सम्मान (कविता) के लिये निर्णायक मंडल ने मृत्युंजय प्रभाकर को देने का निर्णय लिया है। शब्द साधना युवा सम्मान के तहत 11 हजार रुपये और स्मृति चिह्न तथा प्रशस्ति पत्र दिया जायेगा। इस बार निर्णायक मंडल के सदस्य थे- रमणिका गुप्त, विजेन्द्र और दिनेश कुशवाहा। ये सम्मान 27 अगस्त को दिल्ली के हिन्दी भवन में सायं पाँच बजे पाखी महोत्सव में दिये गए।

इंडिपेंडेंट मीडिया इनिशिएटिव सोसायटी पिछले दस साल से हिन्दी साहित्य का प्रकाशन तथा अन्य सामाजिक गतिविधियां कर रही है। जिसमें दस साल से लगातार हिन्दी साप्ताहिक अखबार दि संडे पोस्ट के प्रकाशन के अलावा तीन साल से हिन्दी पत्रिका पाखी का भी प्रकाशन कर रही है। इसके अलावा सोसायटी ने कई जाने माने लेखकों की पुस्तकें भी प्रकाशित की हैं।

अध्यक्ष
इंडिपेंडेंट मीडिया इनिशिएटिव सोसायटी
अपूर्व जोशी
दिनांक : 28/07/2011

प्रथम कविता कोश सम्मान समारोह जयपुर में सफलतापूर्वक संपन्न

प्रथम कविता कोश सम्मान समारोह 07 अगस्त 2011 को जयपुर में जवाहर कला केंद्र के कृष्णायन सभागार में संपन्न हुआ। इसमें दो वरिष्ठ कवियों (बल्ली सिंह चीमा और नरेश सक्सेना) एवं पाँच युवा कवियों (दुष्यन्त, अवनीश सिंह चौहान, श्रद्धा जैन, पूनम तुषामड़ और सिराज फ़ैसल ख़ान) को सम्मानित किया गया। इस आयोजन में वरिष्ठ कवि श्री विजेन्द्र, श्री ऋतुराज, श्री नंद भारद्वाज एवं वरिष्ठ आलोचक प्रो. मोहन श्रोत्रिय भी उपस्थित थे। समारोह में बल्ली सिंह चीमा एवं नरेश सक्सेना का कविता पाठ मुख्य आकर्षण रहे। कविता कोश के प्रमुख योगदानकर्ताओं को भी कविता कोश पदक एवं सम्मानपत्र देकर सम्मानित किया गया।

समारोह में कविता कोश की तरफ से कविता कोश के संस्थापक और प्रशासक ललित कुमार, कविता कोश की प्रशासक प्रतिष्ठा शर्मा, कविता कोश के संपादक अनिल जनविजय कविता कोश की कार्यकारिणी के सदस्य प्रेमचन्द गांधी, धर्मेन्द्र कुमार सिंह, कविता कोश टीम के भूतपूर्व सदस्य कुमार मुकुल एवं कविता कोश में शामिल कवियों में से आदिल रशीद, संकल्प शर्मा, रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु', माया मृग, मीठेश निर्मोही, राघवेन्द्र, हरिराम मीणा, बनज कुमार ‘बनज’ आदि उपस्थित थे। समारोह में यह घोषणा की गई कि 07 अगस्त 2011 से कविता कोश के संपादक एक वर्ष के लिए कवि प्रेमचन्द गांधी होंगे। भूतपूर्व सम्पादक अनिल जनविजय कविता कोश टीम के सक्रिय सदस्य के रूप में संपादकीय संयोजन का काम देखेंगे।

धरोहर स्मृति न्यास बिजनौर (उ०प्र०) द्वारा पुरस्कारों की घोषणा

धरोहर स्मृति न्यास बिजनौर द्वारा बालसाहित्य, कहानी, कविता, व्यंग्य, गज़ल लेखन, साम्प्रदायिक सदभावतथा सामाजिक सरोकारों- यथा, महिला उत्थान, दहेज उन्मूलन, कन्या भ्रूणरक्षा, गरीबी उन्मूलन, बालविकास एवं किसी कार्य विशेष में समाजसेवा के लिए नामित निम्न पुरस्कारों की स्थापना की गयी है! प्रत्येक पुरस्कार के अंतर्गत सम्मानित किये जाने वाले मनीषी को अंगवस्त्र, श्रीफल, स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र एवं दो हज़ार एक सौ रुपये की पुरस्कार राशि भव्य समारोह में स-सम्मान प्रदान की जायेगी !
१, बाबूसिंह चौहान साम्प्रदायिक सद्भावना पुरस्कार
२, निश्तर खानकाही गज़ल पुरस्कार
३, चौ० विरेन्द्रसिंह बाल साहित्य पुरस्कार
४, लाला ओम प्रकाश रस्तोगी मानव सेवा पुरस्कार
५, रणवीर सिंह व्यंग्य पुरस्कार
६, श्रीमती कांता "निशा" नारी प्रेरणा पुरस्कार
प्रथमबार वर्ष 2012 में प्रदान किये जाने वाले उक्त पुरस्कार/सम्मान हेतु रचनाकारों एवं व्यक्ति/सामाजिक संस्थाओं से 30 अक्टूबर तक प्रविष्टियाँ आमंत्रित है।
(१) साहित्य के क्षेत्र में दिए जाने वाले पुरस्कार-----के लिए रचनाकार वर्ष 2003 से 2006 तक की प्रकशित अपने गज़ल संग्रह /बाल साहित्य की किसी भी विधा के संग्रह एवं व्यंग्य संग्रह (गद्य/पद्य) की तीन-तीन प्रतियाँ (देवनागरी लिपि ), अपना पूर्ण परिचय, फोटो के साथ भेज सकते हैं !
(२) मानव सेवा /एवं साम्प्रदायिक सदभावना सम्मान /पुरस्कार----के लिए,व्यक्ति स्वयं द्वारा किये गए मानव सेवा /एवं साम्प्रदायिक सदभाव के कार्यों का विस्तृत विवरण एवं परिचय फोटो सहित अथवा सामाजिक संस्थाओं एवं वरिष्ठ नागरिकों द्वारा समाज सेवा के क्षेत्र में कार्य करने वाले व्यक्ति /संस्थाके नाम की संस्तुति उनके पूर्ण परिचय के साथ भेजी जा सकती है समाचार पत्रों की कटिंग आदि प्रमाणों की फोटो प्रतियाँ भी संलग्न करें ।
(३) श्रीमती कांता "निशा' नारी प्रेरणा पुरस्कार-----के लिए लेखन क्षेत्र से जुडी महिला रचनाकार वर्ष 2003 से 2006 तक प्रकाशित साहित्य की किसी भी विधा (कविता/गज़ल /गीत /कहानी/नारी प्रेरणा को प्रोत्साहित लेख आदि ) में से इस बार कहानी संग्रह की तीन प्रतियाँ (देवनागरीलिपि ), अपना पूर्ण परिचय एवं फोटो के साथ भेज सकती हैं !
(४) पुरस्कार/सम्मान प्रदान करने सम्बंधीनिर्णायक मंडल द्वारा प्रदत्त निर्णय ही सर्वमान्य होगा तथा इसमें किसी भी प्रकार के विवाद /दावा मान्य नहीं होगा ! पुरस्कार समारोह की तिथि बाद में घोषित की जायेगी !
(५) अन्य किसी जानकारी के लिए मोबाइल न० 09412215952 पर सम्पर्क किया जा सकता है, कृपया सभी साम्रगी संस्था के निम्नलिखित पते पर 30 अक्टूबर 2011 तक अवश्य भेज दें ।
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-डा० अजय जनमेजय, 417 रामबाग कालोनी सिविल लाइन्स,बिजनौर -246701 (उ०प्र)

कोपनहेगन में प्राइड ऑफ इंडिया सम्मान

शनिवार 20 अगस्तः इंडियन कलचरल सोसाइटी डेनमार्क ने 65वें स्वतंत्रा दिवस समारोह पर लेखिका अर्चना पैन्यूली को ‘प्राइड ऑफ इंडिया पुरस्कार’ से सम्मानित किया। इस समारोह में डेनमार्क निवासी अनेकों भारतीय व डेनिशों के अलावा भारतीय राजदूत भी उपस्थित थे।

संस्था के अध्यक्ष सुखदेव सिंह सन्धू बोले कि इंडियन कलचरल सासोइटी डेनमार्क ने गत वर्ष निर्णय लिया कि पन्द्रह अगस्त के समारोह में उनकी संस्था डेनमार्क में रहने वाले भारतीय को उनकी उपलब्धियों के लिये ‘प्राइड ऑफ इंडिया’सम्मान से सम्मानित करेगी। इस वर्ष उनकी संस्था ने यह पुरस्कार अर्चना पैन्यूली को उनके लेखन द्वारा हिन्दी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान एवम् भारतीय समुदाय के प्रति उनके योगदान लिये दिया है। भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित डेनमार्क में बसे भारतीयों पर लिखा उनका उपन्यास ‘वेयर डू आई बिलान्ग’ अब रूपा पब्लिकेशन द्वारा अंग्रेजी में छपने जा रहा है।

अर्चना पैन्यूली ने कहा कि किसी संस्था द्वारा किसी लेखक़ कवि या कलाकार को सम्मानित करना उसे एक नवीन ऊर्जा से भर देता है जिससे उसका साहित्य सर्जन थमता नहीं। उन्होंने देश व समाज पर रचित अपनी दो व्यंग्यात्मक कवितायें सुनाकर श्रौतागणों को भाव विभोर कर दिया। इस अवसर पर भारत से आये कुछ कलाकार्रों राजस्थान से आया गुलाबों सपेरा ग्रुप ने राजस्थानी लोक नृत्य पेश किया व गीतकार अनवर अहमद व उनकी टोली ने हिन्दी गीत गाये। कई स्थानीय कलाकारों ने भी अपनी कला व हुनर का प्रदर्शन किया। समारोह समापन पर संस्था की तरफ से भोजन का आयोजन हुआ।